सब कुछ नया सा नया सा है । मम्मी के हाथ के खाने का स्वाद फिर तारो ताज़ा हो गया है । बचपन मे मम्मी को परेशान करते थे येः नही खायेगा वो नही खायेगा । बस घर से दूर क्या हुए । मै तो लाइन पर आ गयी बस जो मिल जाए वो खा लेती हु । पर आप सब की भी यही हालत हो गयी हो होगी । बस पेट भरने के लिए खाना खाते है । हम सभी लोग हो सकता रोजगार के कारण खाने का असली स्वाद भूलते जा रहे है । कभी कोई छुट्टी नही । बस जल्दी से खायो और ऑफिस को चले जायो । दिन भर काम करो काम नही भी है तो बस हाजरी के लिए ऑफिस जाऔ वरना एक दिन का
पैसा काट है । हम लोग काम के साथ साथ बाकी सारे रिश्ते भूलते जा रहे है ।
मम्मी कहती है तुम लोगो को पाबंधियौ मे रहना पसंद नही अड्डा मारना अच्छा लगता है ख़ास कर इसलिए तो तुम मम्मी लोगो को साथ नही रखना नही चाहते हो । मम्मी जो भी कहे सुन लेती हु जवाब नही देते हु । यही तो अच्छी आदत है हम लोगो की । दिन भर लोगो के साथ रह कर सच हम लोग sudhar गए कितनी सारी चीज ऎसी है जो वक्त के साथ बदल जाती है शौक , रहन सहन और सबसे खास हम कुछ अपने काम तक ही सीमित रह गए है । और इतने दिनों बाद वो सुख मिला जिसके लिए तरस रही थी । आज कल मम्मी आयी हुई है । दिन ऎसे कट रहे है जैसे जो चाह वो मिल गया माँ का खाना खा खा कर बस यही लगता है कल से येः खाना फिर मुजसे कोसो दूर हो जाएगा । खाना खाने के लिया मुझे ख़ुद पकाना पड़ेगा । रह रह उनकी याद आएगी ।। चलो बात बताती हु । कल की । कल मेने टमाटर की चटनी और मेथी के परांठे खाए । ऐसा स्वाद जो कई दिनों तक मेरे जबान पर रहेगा । डेल्ही मे मम्मी के
बिताये ये दिन हो सकता याद बन कर मरे एक कोने रह रह कर मम्मी के आने का इंतजार करेंगे । लडकिया हमेशा से ही इमौशनल होती है । मम्मी के sath हर दिन अच्छा लगा । लेकिन क्या करे काम जिंदगी है
पूजा है
तो करना ही पड़ेगा
घर