Monday, September 21, 2009
Wednesday, June 10, 2009
Saturday, April 18, 2009
बचपन की यादे ताज़ा हो गयी
पूजा है
तो करना ही पड़ेगा
घर
Friday, April 17, 2009
Thursday, April 16, 2009
चुनावी सरगर्मी
आप ही है
कल kae neta
आप ही पर है कल की jimaedariya
sambhalo गर्व sae अपनी jimeadaria
देश की हर खुशी
आप ही sae है
Wednesday, April 15, 2009
ये रिश्ता क्या कहलाता है..??
जब नए रिश्ते बनते है तो कई सारी चीजे आपकी समझ मे नही आतीं। आपको लगता है बहुत कुछ मिल रहा है। सच मे, मिलता तो बहुत कुछ है पर कुछ छूट भी जाता है। ऐसे में आपकी दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो जाती है।
कभी कोई अच्छा लगता है, तो कभी लगता है सबसे अच्छा रिश्ता होता है दोस्ती का। जो कुछ नही मांगता। उसमे सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनापन होता है। ये अपनापन ऐसा जो आपको खुशी दे।
आप मंद मंद मुस्कराते है लोग आपकी खुशी को प्यार से बाटते है। यही है वो रिश्ता जो आपको और हमको भी बाँधता है।
लेकिन कई रिश्ते आपको किसी काम को करने से रोके तो आपका मन भर जाता है। मन करता है पहले हम बिना दोस्त के ही अच्छे थे न कोई रोक न कोई टोक । लेकिन कभी न कभी हर लड़के और लडकी को समझौता करना पड़ता है। शायद इसी का नाम ज़िन्दगी है।
Saturday, April 11, 2009
मेरी ऐतिहासिक यात्रा
सुबह सुबह शुरू हुआ हमारा ऐतिहासिक सफर...घर के पुश्तैनी मंदिर का। मम्मी ने मुझे झकझोरकर उठाया। मैं सीधे तैयार हो गयी। बस फिर क्या था पूजा-वूजा की और फिर पहुच गए गाड़ी मे।
जो ड्राईवर था वो पंजाबी गाने सुन रहा था। उफ़ फिर क्या था... हमें भी वो ही सुनना पढ़ा और सारे सफर यही सुन रहे थे। मेरी तो आदत है गाड़ी मे बैठी नही कि सो पड़ी। मुझे मम्मी जी ने कहा, रात को क्या करोगी अभी इतना सो लोगी, तो रात को क्या करोगी?
फिर भी मेरी आंख जो बंद हुई.. तो बंद ही रही और बीच में जब-जब आख़ खुलती तो दूर दूर तक हरियाली ही हरियाली थी। अंतर्मन खुश हो गया। ऐसा लग रहा था कि आज का दिन रुक जाए । मेरी हर सुबह शाम यही शुरू हो और यही विराम ले।
बार-बार यही हरियाली मेरी नज़रों के आगे रहे। मैं हर रोज़ इस दिन की खुशी पाऊँ। जैसे कुछ तो हुआ है। देखा तो मन्दिर पहुंचने ही वाले थे।
बाबा का नाम है जटी वाले बाबा जो दिल्ली से लगभग १८० किलोमीटर दूर है। इसे कहते हैं छोटी पचेरी। गांव गोध बुलावा हरियाणा जो झूंझनूं नारनौल रोड में है। जैसे ही नीचे उतरे मैं फिर सो चुकी थी।
वहां बाबा हमारा इंतजार कर रहे थे। उनके पैर छुए। मम्मी ने २५ साल के बाद ये दर्शन किए थे। वो काफी खुश थी। फिर पहुंचे मशहूर प्रसिद्ध छिदवाड़ा जहां के पेड़े भारत मे मशहूर हैं। और वहां की लाख की चूड़ियां बस आपको अपनी और खींचती ही जाएगी और फिर आप उन्हें खरीदने चल ही पडेंगे। मम्मी जी ने कहा दाम खूब मोल-भाव के बाद लेना । लेकिन दुकानदारों की अकड़, इसी दाम पर दूंगा, लेना हो तो लो....बस दिमाग़ खराब हो गया। लेकिन हमारा पहले मंदिर पहुंचना ज़रूरी था। ऋद्धि-सिद्धि मंदिर जो झूंझनूं में है।
मंदिर से भी ज्यादा यादगार वो लम्हे थे जो मैंने मम्मी के साथ बिताए। अब बारी थी भोग की॥पेड़े खाने के बाद लगा सारी थकावट दूर हो गई। मम्मी घर से बनाकर खाना लाई थी वो खाया और फिर किसी रिश्तेदार के घर पहंचे। मैंने बड़ा-सा घूंघट कर रखा था। तीन पीढियां साथ थीं..ग्रेट कहने को दिल कर रहा था।
काश समय थम जाता।
यहां बहुत कुछ ऐसा हुआ है जो बहुत अच्छा लग रहा है । नई अर्चना ...नई सुबह ...कुछ नए रास्ते हैं जो तलाशने हैं॥ कुछ अपने हैं कुछ बहुत अपने सबके साथ मिल-जुलकर रहती है अर्चना। अपने अंतर्मन को सबसे बांटती है अर्चना ।
Monday, April 6, 2009
मेरे आज कल के दिन
Sunday, April 5, 2009
मेरी ये आदत है की थोडी खुशी मे खुश हो जाती हूँ और थोडी सी बात मे मन भर जाता है या ये कहू लड़किया ऐसी ही होती है पता नही अपने बारे मे तो अच्छे से जानती हूँ मेरा या मिजाज़ है
आज मन कर रहा है बस ऑफिस में ही रहू घर भी न जाऊ
किसी से बात करना का भी मन नही कर रहा है
आपने ही सवालो मे बस ,पता नही क्या कर रहा है
पर जो भी है ऐसे मे ऑफिस का भी कम निपटा रही हु
अकले बैठी थी ऐसा मे तृप्ति आकर चपर चपर करने लगी कभी तो खाने को नही पूछती और आज कल तो ज्यादा ही व्यस्त हो गई है
अल इंडिया रेडियो के इस फीचर उनिट आज मे बिल्कुल अकेली हु
मन्ना जी के साथ भक्ति उत्सव मे जाना है
स्टोरी फाइल करनी है
ऑफिस और काम लाइफ इसी का नाम है तो चलते है कवरेज के लिए बाकी का हाल सुनती रहूगी
Friday, April 3, 2009
कोशिश करुगी के अच्छा लिखू
आप सभी को पढने मे मज़ा आए और आप फिर से तारो ताज़ा हो जाए
एक बात जो हम कहना चाहते है वो येः की हम चाहते है की आप सब हमारा साथ दे क्योंकि आप सभी के साथ से हम उस डगर तक जन चाहते है जहा एक नयी दुनिया होगी
इसलिय आप सभी का स्वागत है हमारे ब्लॉग मे
मेरी हर उड़ान आजकल अपनी मंजिल नही धुन्धती । रस्तों की तलाश अब ऐसा लगता है थम गई।आजकल खुशबू की हर उड़ान मेरे से अपना घर का पता नही पूछती ,कुछ नया अहसास है मेरे साथ
मुझे कुछ किसी से नही कहना
मे अपने आप ही बहुत खुश हु आजकल
हर पल धन्यवाद कहना चाहती हु उस अलोकिक शक्ति को जो मेरा साथ है