Friday, April 3, 2009

आज कल खुशी का हर अहसास मेरे साथ है उड़ना चाहने से पहले ही पंख मुझे मिल गए हैं
मेरी हर उड़ान आजकल अपनी मंजिल नही धुन्धती । रस्तों की तलाश अब ऐसा लगता है थम गई।आजकल खुशबू की हर उड़ान मेरे से अपना घर का पता नही पूछती ,कुछ नया अहसास है मेरे साथ
मुझे कुछ किसी से नही कहना
मे अपने आप ही बहुत खुश हु आजकल
हर पल धन्यवाद कहना चाहती हु उस अलोकिक शक्ति को जो मेरा साथ है

2 comments:

  1. # मेरे आज कल के दिन
    # आज पता नही मन क्यों बाहरी हो रहा है ऐसा लग रहा है ...
    # पहला ब्लॉग लिख रही हु गलतियां

    करते तो हैं सभी गलतियां
    ढूंढते बस मेरी गलतियां
    श्याम सखा ‘श्याम’
    अगर कविता या गज़ल में रुचि हो तो मेरे ब्लॉग पर आएं
    http://gazalkbahane.blogspot.com/ कम से कम दो गज़ल [वज्न सहित] हर सप्ताह
    http:/katha-kavita.blogspot.com दो छंद मुक्त कविता हर सप्ताह कभी-कभी लघु-कथा या कथा का छौंक भी मिलेगा
    सस्नेह
    श्यामसखा‘श्याम’

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  2. आदरणीया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटाएं
    और ज्यादा क्मेन्ट पाएं
    श्याम

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