जब नए रिश्ते बनते है तो कई सारी चीजे आपकी समझ मे नही आतीं। आपको लगता है बहुत कुछ मिल रहा है। सच मे, मिलता तो बहुत कुछ है पर कुछ छूट भी जाता है। ऐसे में आपकी दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो जाती है।
कभी कोई अच्छा लगता है, तो कभी लगता है सबसे अच्छा रिश्ता होता है दोस्ती का। जो कुछ नही मांगता। उसमे सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनापन होता है। ये अपनापन ऐसा जो आपको खुशी दे।
आप मंद मंद मुस्कराते है लोग आपकी खुशी को प्यार से बाटते है। यही है वो रिश्ता जो आपको और हमको भी बाँधता है।
लेकिन कई रिश्ते आपको किसी काम को करने से रोके तो आपका मन भर जाता है। मन करता है पहले हम बिना दोस्त के ही अच्छे थे न कोई रोक न कोई टोक । लेकिन कभी न कभी हर लड़के और लडकी को समझौता करना पड़ता है। शायद इसी का नाम ज़िन्दगी है।
ऐसा लग रहा है आपको प्यार हो गया है किसी से। कम-से-कम मेरा अनुभव तो यही कहता है। और आप रिश्ते के ताने-बानों में घिर गई है। लेकिन आपके दोस्त आपको किस बात के लिए टोकते हैं, ये क्या लिख दिया आपने बिना दोस्त के ही अच्छे..ना कोई रोक ना कोई टोक?
ReplyDeleteबहरहाल, आप खुद कह रही है इसी का नाम जिंदगी है।